21 पंजाब रैजीमेंट के शहीद सिपाही प्रगट सिंह को दी गई श्रद्धांजलि
पठानकोट
भारतीय सेना की 21 पंजाब रैजीमेंट के बलिदानी सिपाही प्रगट सिंह जो विश्व के सबसे दुर्गम व ऊंचे हिमखंड सियाचिन ग्लेशियर में आए एवलांच (बर्फीला तूफान) में 2021 को शहादत का जाम पी गए थे, का तीसरा बलिदान दिवस उनके पैतृक गांव दबुर्जी के गुरुद्वारा साहिब में बलिदानी लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा बलिदानी की दादी बलविंदर कौर, पिता प्रीतम सिंह, माता सुखविंदर कौर, बहनें अमनदीप कौर व किरणदीप कौर, भाई गुरशरण सिंह, चाचा तरलोचन सिंह, बहनोई अमरिंदर सिंह व हरपाल सिंह, बलिदानी की यूनिट के सुबेदार कुलदीप सिंह, सेना की 8 जी.आर यूनिट के नायब सूबेदार भीम बहादुर दारलामी, बलिदानी सिपाही सुखविंदर सिंह के पिता हवलदार सीता राम, बलिदानी कांस्टेबल मनिंदर सिंह के पिता सतपाल अत्री, बलिदानी सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, बलिदानी नायक राजिंदर सिंह के भाई बलविंदर सिंह, बलिदानी सिपाही गुरप्रीत सिंह की माता कुलविंदर कौर आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर सिपाही प्रगट सिंह को श्रद्घासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा वैरागमयी कीर्तन कर बलिदानी को नमन किया गया। इसके उपरांत सेना की 8 जी.आर यूनिट के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की गौरवशाली धुन के साथ बलिदानी को सलामी दी। श्रद्घांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कुंवर ने कहा कि बलिदानी सैनिक राष्ट्र का सरमाया होते हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी देते हुए राष्ट्र की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर अपना सैन्य धर्म निभा जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रगट सिंह जैसे हिमवीर जांबाजों के बलिदान का देश सदैव कर्जदार रहेगा जिन्होंने 23 वर्ष की अल्पायु में अपना बलिदान देकर जिस अदम्य साहस का परिचय दिया उसके समक्ष देश नतमस्तक है। कुंवर विक्की ने कहा कि सरहद पर तैनात सैनिक तनदेही से ड्यूटी निभाते हुए जागता है तभी देश चैन से सोता है। ऐसे में समूह देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि इनके परिजनों को उचित मान सम्मान देकर इनके लाडलों के बलिदान की गरिमा को बहाल रखें। उन्होंने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि आज की युवा पीढ़ी में सेना भर्ती होने का रुझान बहुत कम होता जा रहा है तथा उनमें विदेश में जाने की होड़ लगी है अगर हर किसी की सोच विदेश जाने की बनी रहेगी तो देश की सुरक्षा कौन करेगा। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं समय बहुत बलवान होता है हर जख्म को भर देता है मगर शहादत का जख्म असहनीय होता है जैसे-जैसे समय गुजरता है यह जख्म और भी हरा हो जाता है इसलिए सभी बलिदानी परिवारों को चाहिए कि अपने जिगर के टुकड़ों के बलिदान को अपनी कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाते हुए गर्व से सिर उठाकर जिएं।बलिदानी सिपाही प्रगट सिंह की माता सुखविन्द्र कौर ने नम आंखों से कहा कि प्रगट उनका इकलौता बेटा था तथा भगवान से काफी मन्नतों के बाद वो पैदा हुआ, मगर आज उसकी शहादत से मेरा पूरा परिवार बिखर गया है। मां ने कहा कि इकलौता बेटा खोने का दु:ख तो बहुत है, मगर उसके बलिदान पर गर्व भी है कि उसका बेटा देश के काम आया तथा अपनी कुर्बानी से वो मुझे एक बलिदानी की मां कहलाने का गौरव दे गया है।
बलिदानी लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह ने कहा अपने जिगर के टुकड़ों को खोने का दर्द असहनीय होता है वो यह भली भांति महसूस कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने खुद अपना बेटा देश पर कुर्बान किया है। उन्होंने कहा कि अगर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद जैसी संस्था न होती तो यह शहीदों के परिवार ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाते इसी संस्था ने बलिदानी परिवारों को जीने की राह दिखाई है इसके लिए सभी बलिदानी परिवार परिषद के महासचिव कुंवर रविंद्र सिंह विक्की के दिल से आभारी हैं जिन्होंने अपना सारा जीवन इन परिवारों के मान-सम्मान को बहाल रखने हेतु लगा दिया है।इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा बलिदानी के परिजनों सहित दस अन्य बलिदानी परिवारों को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर बलिदानी की यूनिट के हवलदार सुखविंदर सिंह, नायक दलजीत सिंह, नायक सुखदीप सिंह, सुबेदार मेजर सुखदेव सिंह, सुबेदार मुख्तियार सिंह, अमरीक सिंह शाहपुरिया, राजिंदर सिंह बाजवा, भूपिंदर सिंह, विक्रमजीत सिंह, चरणजीत सिंग आदि उपस्थित थे।